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नई दिल्लीः भारत के युवा खिलाडिय़ों ने वर्ष 2017 में कुछ शीर्ष एकल प्रतिद्वंद्वियों पर जीत दर्ज की जबकि रोहन बोपन्ना ने पहला ग्रैंडस्लैम अपने नाम किया और सानिया मिर्जा के शीर्ष से नीचे की ओर खिसकने की शुरूआत हो गई। भारतीय टेनिस के लिये यह साल मिला जुला रहा जिसमें ना तो बुलंदियों के शिखर पर पहुंचे और ना ही नाकामी की गर्त में। युवाओं के जज्बे ने उम्मीदें कायम रखी। युकी भांबरी, रामकुमार रामनाथन और सुमित नागल ने इस साल सफलताएं अर्जित की। उन्हें अपनी क्षमता के सही इस्तेमाल और लगातार अच्छे प्रदर्शन के लिये देश में खेल के प्रशासकों से जिस समर्थन और हौसलाअफजाई की जरूरत है, वह उन्हें नहीं मिला।  

पूरे सत्र में भारत में सिर्फ दो चैलेंजर टूर्नामेंट पुणे और बेंगलूरू में खेले गए। युकी ने पुणे चैलेंजर जीता और नागल ने बेंगलूरू में जीत दर्ज की। इस नतीजे से दोनों की रैकिंग में काफी सुधार आया। चोटों से प्रभावित रहे युकी ने इस साल की शुरूआत 500 से कम रैंकिंग अंकों के साथ की थी लेकिन वह एकल रैंकिंग में 114वें स्थान पर पहुंचे। वही नागल 90 पायदान की छलांग लगाकर अब 223वें स्थान पर हैं। पुणे में फाइनल देश के दो शीर्ष युवा खिलाडिय़ों के बीच खेला गया जिसमें युकी ने रामकुमार को हराया।  सवाल यह है कि एआईटीए देश में कम से कम पांच चैलेंजर टूर्नामेंट भी क्यो नहीं करा पा रहा। भारत में टेनिस के लिये पैसा जुटाना कठिन है लेकिन एमएसएलटीए लगातार कारपोरेट और सरकारी सहयोग से इसका आयोजन कर रहा है। एमएसएलटीए ने महिलाओं के छह टूर्नामेंटों का आयोजन किया जिनमें एक डब्ल्यूटीए टूर्नामेंट शामिल था। इसके अलावा पुरूष चैलेंजर और फरवरी में न्यूजीलैंड के खिलाफ डेविस कप मुकाबला शामिल है।

भारत में पुरूषों के सिर्फ नौ आईटीएफ फ्यूचर्स टूर्नामेंट और महिलाओं के छह आईटीएफ टूर्नामेंट खेले गए। खिलाडिय़ों की जरूरतों को लेकर एआईटीए मूक दर्शक बना रहा और धनराशि जुटाने के लिये खेल मंत्रालय में कुछ मुलाकातों के अलावा उसने कुछ नहीं किया । मंत्रालय ने यह कहकर उसकी मांग खारिज कर दी कि टेनिस की शीर्ष ईकाई होने के नाते टूर्नामेंटों की मेजबानी के लिये पैसा जुटाना एआईटीए की जिम्मेदारी है ।  भारतीय युवाओं ने व्यवस्था से सहयोग नहीं मिलने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया । युकी भांबरी ने अमेरिका में एटीपी सिटी ओपन में दुनिया के 22वें नंबर के खिलाड़ी गाएल मोंफिल्स को हराया । वहीं रामकुमार ने दुनिया के आठवें नंबर के खिलाड़ी डोमिनिक थियेम को तुर्की में अंताल्या ओपन में मात दी ।  

लिएंडर पेस और महेश भूपति की छत्रछाया में अक्सर दबे रहे रोहन बोपन्ना ने कनाडा की गैब्रियला डाबरोवस्की के साथ फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल खिताब जीता । वह ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाले चौथे भारतीय हो गए और युगल रैंकिंग में लगातार शीर्ष 20 में रहे हैं । उन्होंने तीन एटीपी खिताब जीते जिनमें मोंटे कार्लो मास्टर्स शामिल था। दिविज शरण ने पूरव राजा से जोड़ी टूटने के बावजूद एटीपी यूरोपीय ओपन और चैलेंजर र्सिकट पर दो खिताब जीते। पिछले दो साल में शानदार प्रदर्शन करने वाली सानिया मिर्जा ने शीर्ष रैंकिंग गंवाई और शीर्ष दस में भी अब वह नहीं है ।

मार्टिना हिंगिस से अलग होने के बाद सानिया को सही जोड़ीदार नहीं मिल सका। शुआई पेंग के साथ वह अमेरिकी ओपन सेमीफाइनल तक पहुंची । इस साल आठ जोड़ीदार बदलने वाली सानिया एक भी ग्रैडस्लैम नहीं जीत सकी। लिएंडर पेस ने इस साल लगातार दो चैलेंजर खिताब जीते । नये डेविस कप कप्तान महेश भूपति ने अप्रैल में उजबेकिस्तान के खिलाफ बेंगलूरू में हुए मुकाबले के लिये उन्हें टीम में शामिल नहीं किया। पेस को डेविस कप के इतिहास में सबसे ज्यादा युगल मैच जीतने वाला खिलाड़ी बनने के लिये एक जीत की जरूरत है । देखना यह है कि 2018 में वह निकोला पीट्रांजेली का रिकार्ड तोड़ पाते हैं या नहीं।