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हैदराबादः सानिया मिर्जा, मिताली राज और पुलेला गोपीचंद जैसे दिग्गजों ने आज महिला खिलाडिय़ों को प्रेरित करने और देश में खेल के विकास के लिये जरूरी आधारभूत ढांचों के विकास का कड़ा संदेश दिया। वैश्विक उद्यमता सम्मेलन (जीईएस) में खेलों के सत्र में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली ने कहा कि स्कूलों में खेलों के ढांचे को सुधारना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्राओं को खेलने का मौका मिल सके।   

भारत ने पिछले महिला विश्व कप के पिछले चरण में शानदार प्रदर्शन किया जिसमें फाइनल में उसे इंग्लैंड से हार का मुंह देखना पड़ा था। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे स्कूलों में खेलों के लिये ढांचे नहीं दिखते या स्कूल खेलों पर जोर देते हों। उनके पास इसके लिये सही सुविधायें नहीं हैं। ’’ मिताली ने कहा कि खेल अब इतना प्रतिस्पर्धी हो गया कि अब हर चीज सही होने की जरूरत है ताकि एक बालिका अगर खिलाड़ी बनना चाहती है तो उसे ‘रोडमैप’ पता हो।  इस मौके पर शीर्ष टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने कहा कि अब लड़कियों के बीच खेलों में भाग लेने की दिलचस्पी बढ़ी है। 

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने खेलना शुरू किया था तो हम गोबर के लिपे हुए कोर्ट में खेलती थी, तब कोई हार्ड या क्ले कोर्ट नहीं था। अब अंडर-14 या अंडर-16 खिलाडिय़ों के लिये आपको कम से कम 1000 प्रविष्टियां मिलती हैं और इससे साफ दिखता है कि बालिकाओं और बालकों दोनों में काफी दिलचस्पी दिख रही है। लेकिन बालिकाओं में मुझे लगता है कि इसलिये क्योंकि इसमें मौके ज्यादा मिलते हैं। ’’ बैडमिंटन कोच गोपीचंद ने कहा कि लोग अब ज्यादा खेलों में हिस्सेदारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खेल जैसे कुश्ती, खो खो, कबड्डी, तीरंदाजी और मल्लखंब में खर्चीले उपकरणों की जरूरत नहीं होती जो छोटे से क्षेत्र में ही खेले जा सकते हैं। गोपीचंद ने कहा, ‘‘पारपंरिक खेल ऐसे ही होते थे। हम इससे दूर होते जा रहे हैं अब लोग बाजार, विज्ञापन और खर्चीले उपकरणों की ओर जा रहे हैं। ’’