नई दिल्ली : बेंगलुरु में इन दिनों भारतीय महिला हॉकी का नेशनल कैंप लगा है। इसके भारतीय टीम अपनी कप्तानी रानी रामपाल की देखरेख में प्रैक्टिस कर रही है। रानी रामपाल ने वुमन हॉकी भारत में स्थिति पर कहा कि बचपन में उन्होंने गरीबी देखी। हरियाणा के जिस शाहबाद से वह आईं वहां लड़कियों के खेलने पर भी रोक-टोक थी। लोगों ने न तो मुझे खेलने दिया न ही मेरी साथी लड़कियों को। लेकिन आज जब हमने खुद को साबित कर दिखाया तो अब मुझे यह जानकर खुशी होती है कि वह अपने बच्चों को मेरी उदाहरण देते हैं। अब मुझे ताने नहीं सुनने पड़ते।
ट्रेनिंग टेक्ट्सि : खाना खत्म करके ही उठती है पूरी टीम
रानी ने अपने ट्रेनिंग सेशन के बारे में बात करते हुए कहा कि हमाने लिए एकता और अनुशासन में रहना बहुत जरूरी है। इसके लिए हम कुछ फार्मूलों को अपना रहे हैं। इसके तहत हम अनुभवी खिलाड़ी की रूममेट युवा खिलाड़ी को बनाते हैं तो स्ट्राइकर का स्ट्राइकर। पूरी टीम एकता और धैर्य के लिए साथ बैठकर खानी खाती है। अगर खिलाड़ी खाना खत्म भी कर लेते हैं तो भी वह तब तक टेबल पर बैठे रहते हैं जब तक आखिरी खिलाड़ी पूरा खाना तक नहीं खा लेता।
प्रदर्शन बरकरार रखने की जिम्मेदारी
पहली बार विश्व कप रैंकिंग के टॉप 10 में पहुंचने पर भारतीय कप्तान रानी रामपाल ने कहा कि अब चुनौती आगे से पहले कहीं ज्यादा बढ़ गई है। हम हमारे ऊपर घरेलू टूर्नामैंट में बेहतर प्रदर्शन करने के अलावा रैंकिंग ऊपर ले जाने के लिए प्रयास करने की जिम्मेदारी भी है। अभी हम खिलाडिय़ों की भूमिका पर ध्यान दे रहे हैं। कहां किस खिलाड़ी को खिलाना है, कौन क्या करेगा, सब तय करेंगे। हमारी टीम में कई युवा खिलाड़ी भी हैं। इनका अनुभव चाहे कम हो लेकिन यह मेहनती हैं। वहीं हमारी कुछ सीनियर चोटिल खिलाड़ी भी वापसी कर रहे हैं। इससे हमें फायदा होगा।