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भुवनेश्वर: तेज बारिश के बीच हाथों में छाते लिए भारतीय हॉकी टीम की हौसलाअफजाई के लिए कलिंगा स्टेडियम पर बड़ी तादाद में जुटे दर्शकों ने अंतरराष्ट्रीय खेलों के नक्शे पर ओडिशा को एक बेहतरीन मेजबान के रूप में स्थापित किया और यहां से निकले ओलंपियनों को यकीन है कि अभी यह शुरूआत भर है।  

हॉकी विश्व लीग फाइनल में भारत और अर्जेंटीना के बीच सेमीफाइनल मैच तेज बारिश के बीच खेला गया लेकिन दर्शकों का उत्साह तनिक भी कम नहीं हुआ । यही नहीं भारत से इतर मैचों में भी करीब 9 हजार की दर्शक क्षमता वाला स्टेडियम खचाखच भरा देखा गया जिसने ओडिशा में फल फूल रही खेल संस्कृति की अनूठी बानगी पेश की।  हॉकी विश्व लीग फाइनल से पहले यहां 2014 में चैम्पियंस ट्रॉफी हाकी और इस साल एशियाई एथलेटिक्टस चैम्पियनशिप खेली गई जिसमें इसी तरह का उत्साह देखने को मिला । अगले साल यहां पुरूष सीनियर हॉकी विश्व कप होना है। खेलमंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने भी कहा कि यहां खेलों के लिए सेंटर आफ एक्सीलैंस बनाये जा सकते हैं और इसके लिए सरकार जरूर काम करेगी ।  

उन्होंने कहा कि यहां लोगों का खेलों के प्रति उत्साह वाकई काबिले तारीफ है । विभिन्न खेलों के लिए देश में अलग अलग सेंटर आफ एक्सीलैंस बनाने पर चिंतन चल रहा है और ओडिशा भी उसमें शामिल है। हॉकी में यूं तो ओडिशा ने 3 बार के ओलंपियन दिलीप टिर्की, इग्नेस टिर्की, विलियम काल्को, लाजरूस बारला जैसे अनगिनत नगीने दिये हैं और मौजूदा हाकी टीम में भी अमित रोहिदास, दिप्सन टिर्की और बीरेंद्र लाकड़ा यहीं से हैं। इनके अलावा फर्राटा क्वीन दुती चंद, बाधा दौड़ में अनुराधा बिस्वाल, शरबानी नंदा, भारोत्तोलक के रविकुमार इसी राज्य से हैं।  

राज्यसभा सांसद और पूर्व हॉकी कप्तान दिलीप ने कहा कि ओडिशा में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े टूर्नामेंटों की मेजबानी के लिए अपार संभावनाएं हैं । यहां खेल जीवन का हिस्सा है और यही टूर्नामेंटों की कामयाबी में सूत्रधार रहता है । उन्होंने कहा कि हमने इस साल ग्रामीण खिलाडिय़ों के लिए हॉकी टूर्नामेंट का आयोजन किया और उसमें हजारों की तादाद में युवाओं ने भाग लिया । नक्सल प्रभावित इलाकों में भी युवाओं को हॉकी के मैदान पर उतारा गया और नतीजा बेहतरीन रहा । आगे भी ग्रामीण खेल प्रशिक्षण केंद्र खोलने की योजना है।