Edited By ,Updated: 24 Dec, 2016 04:56 PM
रियो ओलंपिक से पहले भारत में जिमनास्टिक की पहचान न के बराबर थी लेकिन खेलों का महाकुंभ समाप्त होते ही...
नई दिल्ली: रियो ओलंपिक से पहले भारत में जिमनास्टिक की पहचान न के बराबर थी लेकिन खेलों का महाकुंभ समाप्त होते ही सबकी जुबां पर जिमनास्टिक का नाम आ चुका था और इस खेल को नई पहचान दिलाने का श्रेय जाता है त्रिपुरा की दीपा करमाकर को। ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर पहली बार उतरना ही खिलाड़ी के लिये विशेष उपलब्धि होती है लेकिन बहुत कम खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो अपना नाम और मुकाम दोनों बना जाते हैं।
यह कहावत रियो ओलंपिक में त्रिपुरा की जिमनास्ट दीपा पर खरी उतरती है जो ओलंपिक में अपने प्रदर्शन से पूरे देश की लाडली बन गयीं। रियो ओलंपिक के बाद जिमनास्टिक, प्रोदुनोवा वॉल्ट और दीपा एक दूसरे के पूरक बन गये हैं। ओलंपिक खेलों के लिये क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट होने का गौरव हासिल करने वाली दीपा रियो में अपनी वॉल्ट स्पर्धा में पदक पाने से चूक गईं लेकिन उन्होंने चौथा स्थान हासिल कर 125 करोड़ देशवासियों का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया।
दीपा से पहले देश में जिमनास्टिक को कभी गौर से नहीं देखा जाता था लेकिन दीपा के प्रदर्शन के बाद जिमनास्टिक आकर्षण का केन्द्र बन गया है। भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन, निशानेबाज अभिनव बिंद्रा और क्रिकेटर वीरेन्द्र सहवाग जैसी हस्तियों ने दीपा की कामयाबी को सलाम किया।