नई दिल्ली : आज उनका बर्थ डे हैं जिनका नाम शायद आपने पहली बार 2009 में आई ऑस्कर विजेता फिल्म स्लमडॉग मिलीनीयर में सुना होगा। फिल्म में शो कौन बनेगा करोड़पति होस्ट कर रहे प्रेम कुमार (अनिल कपूर) ने जमाल मलिक (देव पटेल) से यह सवाल पूछा था। वो सवाल यह था कि किस बल्लेबाज ने अपने करियर में 199 शतक लगाए हैं। जमाल ने जवाब दिया था- जैक हॉब्स। जोकि बिल्कुल सही था। आज इन्हीं जैक हॉब्स का 136वां बथर्ड है।
जैक प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सबसे ज्यादा 61, 760 रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। वह ऐसे पहले क्रिकेटर हैं जिन्होंने 46 साल की उम्र में टेस्ट शतक लगाया। जैक के स्टाइल के कारण उनकी तुलना हमेशा ऑस्ट्रेलिया के महानतम बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन से की गई। ब्रैडमैन अपनी टेस्ट क्रिकेट में 99.94 की शानदार औसत के लिए जाने जाते हैं तो जैक प्रथम श्रेणी क्रिकेट में लगाए अपने 199 शतक के लिए। हालांकि भारत की ओर से सचिन तेंदुलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगा चुके हैं लेकिन जैक के बनाए गए 199 शतक इसलिए खास है क्योंकि उन्होंने यह शतक तब बनाए जब आज की तरह क्रिकेट का व्यस्तम शेड्यूल नहीं होता था। प्रथम श्रेणी में हालांकि सचिन भी 81 शतक लगा चुके हैं। लेकिन वह शानदार बल्लेबाजों की क्लास के एक मास्टर थे, जिससे इंकार नहीं किया जा सकता।
पत्नी को भी क्रिकेट टूर पर साथ ले जाते थे
वर्ष 1900 में 18 साल के जैक एक दिन कैम्ब्रिज के सेंट मैथ्यूज चर्च में गए वहां उन्हें अदा ईलन गेट्स मिलीं। अदा जैक के शर्मीलेपन और क्रिकेट के प्रति उनकी समर्पण भावना की कायल हो गई। दोनों ने छह साल की डेटिंग के बाद सितंबर 1906 में उसी चर्च में शादी की जहां वह पहली बार मिले थे। जैक पत्नी के साथ बिताए वक्त को सबसे यादगार बताते थे इसलिए अक्सर वह विभिन्न क्रिकेट टूर पर अपनी पत्नी को भी ले जाते थे। उनके चार बच्चे हुए। जैक (1907), लियोनार्ड (1909), वेरा (1913) और आइवर (1914)।
ब्रिटिश सेना में भी रहे, एपेंडिक्स के बावजूद खेलते रहे
1908 में टेस्ट क्रिकेट में कदम रखने वाले जैक ने अपनी पहली पारी में 83 रन बनाए थे। चार साल बाद ऑस्ट्रेलिया के ?खिलाफ तीन शतक लगाने पर उन्हें विश्व का सबसे बड़ा बल्लेबाज माना जाने लगा। इसके बाद 1914 में प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो गया। इस दौरान वह ब्रिटिश सेना में तैनात रहे। 1919 में जब फिर से क्रिकेट का सीजन शुरू हुआ तो वह एपेंडिक्स की समस्या से जूझ रहे थे। इस दौरान वह अखबार में अपने फे??म्स डक (0) के लिए भी काफी चर्चित रहे। इस मैच में उनके साथी ने शानदार शतक लगाया था। लेकिन अखबारों में यही प्रकाशित हुआ- जैक शून्य पर आउट हुए। इसी समस्या के कारण वह 1921 में एक भी मैच नहीं खेल पाए। आखिर जब वह अपनी बीमारी से ऊपर उठकर लौटे तो वह आगे से कहीं ज्यादा मजबूत बल्लेबाज बने। उन्होंने कई यादगार पारियां खेलीं।
रिटायरमेंट के बाद पत्रकार बन गए
जैक होब्स ने जब 1934 में क्रिकेट को अलविदा कहा तो उन्होंने पत्रकारिता का पेशा चुना। उन्होंने जैक इंगम और जिम्मी बोल्टोन के साथ काम किया। चार किताबें भी छपवाईं जो उस जमाने में बेस्ट सैलर रहीं। वे कंट्रोवर्सी से दूर रहे। इस बीच वह अपनी स्पोट्र्स की दुकान पर भी बैठते रहे। विभिन्न चैरिटी संस्थाओं के साथ उन्होंने खुद को बिजी रखा। पांच दशक पार करती उम्र में भी क्लब स्तर पर क्रिकेट खेलते रहे। 21 दिसंबर 1963 में 81 साल की उम्र में जैक का निधन हुआ था।