Edited By ,Updated: 29 Jul, 2015 03:11 PM
रिमोट कंट्रोल कार और गन से खेलने की उम्र में 8 साल के तन्मय जैन ने दिमाग के खेल शतरंज में कॉमनवैल्थ चैस चैम्पियनशिप ..
जालंधर: रिमोट कंट्रोल कार और गन से खेलने की उम्र में 8 साल के तन्मय जैन ने दिमाग के खेल शतरंज में कॉमनवैल्थ चैस चैम्पियनशिप में अंडर-8 कैटेगरी में तीसरा स्थान हासिल करके जालंधर और पंजाब का नाम रोशन किया है। तीसरी कक्षा के छात्र तन्मय ने साल पहले ही शतरंज खेलना शुरू किया है और एक ही साल में इस ‘नन्हे ग्रैंडमास्टर’ की उपलब्धियां इस खेल में उसके उज्ज्वल भविष्य की तरफ इशारा कर रही हैं।
तन्मय ने यह खेल अपने बड़े भाई श्रेयास जैन (12) को देख कर शुरू किया था। घर में दोनों भाइयों के बीच चलने वाले दिमाग के इस खेल में जब तन्मय की मां इशिका जैन और पिता पंकज जैन ने रुचि देखी तो उसकी प्रतिभा को निखारने के लिए कोचिंग का सहारा लेने का फैसला किया गया। पिछले 6 माह से तन्मय कंवरजीत सिंह से कोचिंग ले रहे हैं और इसी दौरान तन्मय ने जिला स्तर से लेकर कॉमनवैल्थ तक अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। तन्मय ने बताया कि विश्वनाथन आनंद उनके फैवरेट खिलाड़ी हैं और वह बड़ा होकर आनंद जैसे विश्व चैम्पियन बनना चाहता है। छोटी-सी उम्र में तन्मय अपने स्कूल के होमवर्क के अलावा रोजाना 4 घंटे चैस का अभ्यास करता है।
दिल्ली में चैस के ओपन मुकाबले में तन्मय ने लखनऊ के 65 वर्षीय बुजुर्ग को हरा कर चौंका दिया था। हालांकि इतनी उपलब्धि हासिल करने के बावजूद तन्मय को प्रोत्साहित करने के लिए खेल विभाग अथवा सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है और तन्मय की सारी प्रतियोगिताओं व कोचिंग पर होने वाला खर्च उसका परिवार ही वहन कर रहा है। तन्मय के पिता पंकज जैन ने कहा कि गुजरात में सरकार ऐसे प्रतिभावान चैस खिलाडिय़ों को हर माह वित्तीय मदद देती है लेकिन पंजाब में सरकार द्वारा ऐसी कोई योजना नहीं है। सरकार को उभरते खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने के लिए शतरंज खिलाडिय़ों हेतु गुजरात जैसी कोई योजना शुरू करनी चाहिए ।