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जालन्धर (जसमीत सिंह) 2017 पेस और भूपति युग का अंत भी माना जा सकता है क्योंकि इस साल टैनिस में भारत को नए नाम मिले। रोहन बोपन्ना ने ग्रैंड स्लैम जीतकर चौंकाया, तो युकी भांबरी, राजकुमार रामनाथन और सुमित नागल बढिय़ा प्रदर्शन के चलते चर्चा में रहे। हालांकि सानिया मिर्जा की गिरती रैंकिंग ने भी ङ्क्षचता बढ़ाई। पूरे सत्र में भारत में सिर्फ 2 चैलेंजर टूर्नामैंट पुणे और बेंगलूरमें खेले गए। युकी ने पुणे चैलेंजर जीता और नागल ने बेंगलूर में जीत दर्ज की। युकी अभी एकल में 114वें तो नागल 90 पायदान की छलांग लगाकर अब 223वें स्थान पर पहुंचे हैं। वहीं महिला वर्ग में भारत को कोई खास सफलता हासिल नहीं हुई।

सानिया ने 8 जोड़ीदार बदले, सफलता नहीं मिली
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पिछले 2 साल में शानदार प्रदर्शन करने वाली सानिया मिर्जा ने शीर्ष रैंकिंग गंवाई और शीर्ष-10 में भी अब वह नहीं है। मार्टिना हिंगिस से अलग होने के बाद सानिया को सही जोड़ीदार नहीं मिल सका। शुआई पेंग के साथ वह अमरीकी ओपन सैमीफाइनल तक पहुंची। इस साल 8 जोड़ीदार बदलने वाली सानिया एक भी ग्रैड स्लैम नहीं जीत सकी। लिएंडर पेस ने इस साल लगातार 2 चैलेंजर खिताब जीते। नए डेविस कप कप्तान महेश भूपति ने अप्रैल में उज्बेकिस्तान के खिलाफ बेंगलूर में हुए मुकाबले के लिए उन्हें टीम में शामिल नहीं किया।

रोहन ग्रैड स्लैम जीतने वाले चौथे भारतीय बने
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भारतीय युवाओं ने व्यवस्था से सहयोग नहीं मिलने के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया। युकी भांबरी ने अमरीका में ए.टी.पी. सिटी ओपन में दुनिया के 22वें नंबर के खिलाड़ी गाएल मोंफिल्स को हराया। वहीं, रामकुमार ने दुनिया के 8वें नंबर के खिलाड़ी डोमिनिक थियेम को तुर्की में अंताल्या ओपन में मात दी। लिएंडर पेस और महेश भूपति की छत्रछाया में अक्सर दबे रहे रोहन बोपन्ना ने कनाडा की गैब्रियला डाबरोवस्की के साथ फ्रैंच ओपन मिश्रित युगल खिताब जीता। वह ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाले चौथे भारतीय हो गए और युगल रैंकिंग में लगातार शीर्ष 20 में रहे हैं। उन्होंने 3 ए.टी.पी. खिताब जीते जिनमें मोंटे कार्लो मास्टर्स शामिल था। दिविज शरण ने पूरव राजा से जोड़ी टूटने के बावजूद ए.टी.पी. यूरोपीय ओपन और चैलेंजर सर्किट पर 2 खिताब जीते।

पेस बनाएंगे रिकॉर्ड
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पेस को डेविस कप के इतिहास में सबसे ज्यादा युगल मैच जीतने वाला खिलाड़ी बनने के लिए एक जीत की जरूरत है। देखना यह है कि 2018 में वह निकोला पीट्रांजेली का रिकार्ड तोड़ पाते हैं या नहीं।

सवाल भी उठे
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भारत में पुरुषों के सिर्फ 9 आई.टी.एफ. यूचर्स टूर्नामैंट और महिलाओं के 6 आई.टी.एफ. टूर्नामैंट खेले गए। खिलाडिय़ों की जरूरतों को लेकर ए.आई.टी.ए. मूक दर्शक बना रहा और धनराशि जुटाने के लिए खेल मंत्रालय में कुछ मुलाकातों के अलावा उसने कुछ नहीं किया। मंत्रालय के पैसा देने से पल्ला झाडऩे पर भी परेशानी झेलनी पड़ी। एम.एस.एल.टी.ए. ने महिलाओं के 6 टूर्नामैंटों का आयोजन किया जिनमें एक डब्ल्यू.टी.ए. टूर्नामैंट शामिल था।