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नई दिल्लीः भयानक युद्ध और आतंकी हमलों की मार झेल रहे अफगानिस्तान में हर चीज को नुकसान हुआ है और अगर नहीं टूटा है तो वहां के लोगों जज्बा और इसका उदाहरण है देश की आठ सदस्यीय मुक्केबाजी टीम जो मौजूदा इंडिया ओपन में हिस्सा लेने यहां आई है। इंडिया ओपन भारत का सबसे अधिक इनामी राशि का मुक्केबाजी टूर्नामेंट है। अफगानिस्तान की टीम यहां प्रतिस्पर्धा पेश करने आई है लेकिन ‘पुराने मित्र’ भारत से उनका आग्रह है कि उन्हें खिलाडिय़ों की ट्रेनिंग के लिए कम से कम एक कोच मुहैया कराया जाए।         

भारत की थोड़ी मदद से अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं
काबुल में 27 जनवरी को एंबुलेंस बम धमाके में 100 से अधिक लोगों की मौत के संदर्भ में कोच मोहम्मद कादिर सुल्तानी ने कहा, ‘‘जिस रात हम भारत पहुंचे, हमें तभी काबुल में आतंकी हमले की खबर मिली जिसमें इतने सारे लोगों की जान गई। यह रोज का डर है जिसके साथ हम जी रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में लगातार जान का डर रहता है, किसी को नहीं पता कि सुबह कोचिंग शुरू करने के बाद वे घर पहुंच भी पाएंगे या नहीं।’’ खेल को चीजों को सामान्य करने में अहम माना जाता है और जहां तक मुक्केबाजी का सवाल है अफगानिस्तान का कहना है कि वे भारत की थोड़ी मदद से अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।         

राष्ट्रीय टीम के साथ एक अन्य कोच महमूद शाह मेहराबुद्दीन ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि भारत हमें कम से कम एक कोच मुहैया कराए। जीएस संधू अगर हमारे कोच बनेंगे तो हमें काफी अच्छा लगेगा। वह काफी अनुभवी हैं और उनके साथ हमारे रिश्ते काफी अच्छे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने जब अपना पहला ओलंपिक पदक (विजेंदर के जरिये) जीता था तो वह (संधू) भारतीय कोच थे, हम उनसे काफी प्रभावित हैं। वह हमारे लिए बेहतरीन रहेंगे, अगर वे हमें कोचिंग दे पाए तो मुझे यकीन है कि हम काफी बेहतर हो जाएंगे।’’ संधू दो दशक से अधिक समय तक पुरुष राष्ट्रीय टीम के कोच रहे और बाद में उन्होंने लगभग एक साल तक महिला टीम को भी कोचिंग दी। उन्हें अंतत: मुक्केबाजी महासंघ के ‘ट्रेन द ट्रेनर्स’ कार्यक्रम का प्रमुख बनाया गया।