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नई दिल्ली: स्कीइंग में अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाली पहली भारतीय आंचल ठाकुर को उम्मीद है कि उनके पदक से शीतकालीन खेलों के प्रति सरकार की उदासीनता खत्म होगी ।   तुर्की में कांस्य पदक जीतने वाली आंचल को चारों ओर से बधाई मिल रही है। उसे यकीन ही नहीं हो रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे खुद बधाई दी है।  

आंचल ने तुर्की से कहा कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि प्रधानमंत्री मेरे लिए ट्वीट करेंगे । यह अकल्पनीय है। मैं उम्मीद करती हूं कि हमें भी दूसरे लोकप्रिय खेलों के खिलाडिय़ों के समकक्ष आंका जाए। अभी तक तो सरकार से कोई सहयोग नहीं मिला है। उसने कहा कि मैं इतना ही कहना चाहती हूं कि हम जूझ रहे हैं और कड़ी मेहनत कर रहे हैं। चंडीगढ के डीएवी कालेज की छात्रा आंचल के लिये यह सफर आसान नहीं था हालांकि उनके पिता रोशन ठाकुर भारतीय शीतकालीन खेल महासंघ के सचिव हैं और स्कीइंग के शौकीन है । उनके बच्चों आंचल और हिमांशु ने कम उम्र में ही स्कीइंग को अपना लिया था।   

आंचल ने कहा कि मैं सातवीं कक्षा से ही यूरोप में स्कीइंग कर रही हूं । पापा हमेशा चाहते थे कि मैं स्कीइंग करूं और इसके लिए अपनी जेब से खर्च कर रहे थे। बिना किसी सरकारी सहायता के उन्होंने मुझ पर और मेरे भाई पर काफी खर्च किया। उसने कहा कि हमारे लिए और भी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि भारत में अधिकांश समय बर्फ नहीं गिरती है लिहाजा हमें बाहर जाकर अभ्यास करना पड़ता था। आंचल के पिता रोशन ने कहा कि भारत में गुलमर्ग और औली में ही विश्व स्तरीय स्कीइंग सुविधायें हैं लेकिन उनका रखरखाव अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय साल में दस महीने अभ्यास कर पाते हैं जबकि हमारे खिलाड़ी दो महीने ही अभ्यास कर सकते हैं क्योंकि विदेश में अभ्यास करना काफी महंगा होता है।