Edited By ,Updated: 16 Feb, 2015 11:21 AM
उस दिन उस स्कूल के अध्यापकों तथा बच्चों में बहुत उत्साह था। महात्मा गांधी उनके स्कूल का निरीक्षण करने, उनसे मिलने आ रहे थे। वह आए भी। वह
उस दिन उस स्कूल के अध्यापकों तथा बच्चों में बहुत उत्साह था। महात्मा गांधी उनके स्कूल का निरीक्षण करने, उनसे मिलने आ रहे थे। वह आए भी। वह किसी कक्षा में गए जहां छोटे-छोटे बच्चे पढ़ रहे थे। सबने उठकर गांधी जी का स्वागत किया। उन्हें एक लंगोटी में लिपटे हुए देखकर कक्षा में छोटे बच्चे ने पूछ लिया, ‘‘बापू जी आप कुर्ता नहीं पहनते? इतने बड़े महात्मा के तन पर कुर्ता न होना अच्छी बात नहीं।’’
इससे पहले कि गांधी जी कुछ कहते, बच्चे ने गांधी जी का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘यदि मैं अपनी मां से आपके लिए एक कुर्ता सिलवाकर लाऊं तो क्या आप उसे पहन लेंगे?’’
अब महात्मा गांधी ने उस बच्चे के गालों को थपथपाते हुए कहा, ‘‘हमारा देश बहुत बड़ा है, बेटा! इसमें ऐसे हजारों लोग तो होंगे ही, जिनके तन पर कपड़ा नहीं होता। यदि इन सबको कुर्ते मिल जाएं तो मैं भी कुर्ता सहर्ष पहन लूंगा।’’
ऐसा कहते-कहते महात्मा गांधी ने उस बच्चे को उठा लिया। उसे अपनी गोद में लेते हुए कहा, ‘‘हम सब विशेषकर आप बच्चे तो भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं कि भारत के हर नागरिक को तन ढंकने के लिए कपड़ा तथा पेट भरने के लिए अनाज मिलता रहे।’’
—सुदर्शन भाटिया