Edited By ,Updated: 19 Sep, 2016 08:02 PM
दीपा करमाकर के कोच बिश्वेश्वर नंदी ने 15 साल से ज्यादा समय के कैरियर में अपनी शिष्या के लिए कभी भी पिटाई का सहारा...
कोलकाता: दीपा करमाकर के कोच बिश्वेश्वर नंदी ने 15 साल से ज्यादा समय के कैरियर में अपनी शिष्या के लिए कभी भी पिटाई का सहारा नहीं लिया बल्कि वह इस स्टार जिमनास्ट से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कराने के लिये मनोवैज्ञानिक तरीके का सहारा लेते थे जो रियो आेलंपिक में एेतिहासिक चौथे स्थान पर रही थी।
रियो में चौथे स्थान पर रहीं थी दीपा
द्रोणाचार्य पुरस्कार हासिल कर चुके कोच ने अपनी ट्रेनिंग का खुलासा करते हुए कहा कि इस वैज्ञानिक ट्रेनिंग के युग में पिटाई बिलकुल नहीं। उन्हांेने कहा कि मुझे उसे मनोवैज्ञानिक रूप से हमला करना होता था। कभी कभार वह रो भी देती थी और कभी इतनी आहत हो जाती थी कि वह कहती थी, ‘मुझे ये सब मत कहिए, यह छड़ी द्वारा पिटाई से ज्यादा दर्दनाक है। लेकिन यह मेरी तकनीक है।
आज्ञाकारी है दीपा करमाकर: कोच
नंदी ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि वह काफी आज्ञाकारी है और इसलिए वह यहां तक पहुंचने मंे सफल रही। एक खिलाड़ी तभी सफलता हासिल कर सकता है जब वह अपने कोच की सलाह पर ध्यान दे। उन्हांेने कहा कि इन दिनों माता-पिता काफी रक्षात्मक हो गए हैं इसलिये आप डंडे का सहारा नहीं ले सकते। उन्होंने कहा कि हमारे समय में हमारी काफी पिटायी की जाती थी लेकिन अब एेसा नहीं होता। समय बदल चुका है। अगर मैं डंडे से पिटाई करना शुरू कर दूंगा तो कोई भी मेरे पास बच्चों को नहीं भेजेगा।