Edited By ,Updated: 07 Jan, 2015 04:29 AM
सरकार से तनख्वाह के साथ-साथ प्राइवेट प्रैक्टिस न करने की एवज में भत्ता लेने वाले डाक्टर नियम कानूनों को ठेंगा दिखा रहे हैं।
बहादुरगढ़ (ब्यूरो): सरकार से तनख्वाह के साथ-साथ प्राइवेट प्रैक्टिस न करने की एवज में भत्ता लेने वाले डाक्टर नियम कानूनों को ठेंगा दिखा रहे हैं। सरकारी ड्यूटी ठीक तरह से हो न हो लेकिन प्राइवेट ड्यूटी करके अधिक से अधिक पैसा कमाने के चक्कर में ये डाक्टर कोई कसर नहीं छोड़ रहे। शहर के सामान्य अस्पताल में तैनात कई डाक्टरों को निजी अस्पतालों या फिर अपने घरों में सेवा देकर पैसा कमाते देखा जा सकता है। शहर के सामान्य अस्पताल में इस समय 2 दर्जन से ज्यादा डाक्टर हैं। इनमें से अनेक डाक्टर सरकारी ड्यूटी से ज्यादा प्राइवेट प्रैक्टिस को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। जबकि सरकारी नियमों के मुताबिक इन डाक्टरों को नॉन प्रैक्टिस भी मिल रहा है। सभी तरह के भत्तों को मिलकर प्रत्येक डाक्टर की तनख्वाह वर्तमान में 50 हजार से अधिक बनती है और पुराने डाक्टरों की यह तनख्वाह करीब 85 हजार से लेकर 1 लाख के बीच बनती है।
कई डाक्टर ऐसे है जो जल्दी-जल्दी सरकारी ड्यूटी खत्म करके अपने-अपने प्राइवेट ठिकानों का रुख कर लेते हैं। ऐसे डाक्टरों का ध्यान सरकारी ड्यूटी के दौरान भी मरीजों के इलाज से ज्यादा घड़ी पर रहता है कि कब ड्यूटी खत्म हो और वे प्राइवेट प्रैक्टिस करें। कई निजी अस्पतालों में इन डाक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए देखा जा सकता है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि कई डाक्टर तो मरीजों का चैकअप करने के बाद उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती हो जाने की सलाह देते हैं। बताया गया है कि निजी अस्पताल के संचालकों के साथ डाक्टरों की मोटे कमीशन में सैटिंग होती है। ऐसे में अपने कमीशन के चक्कर में सरकारी डाक्टर अपने समाज सेवी पेशे से भी खिलवाड़ कर रहे हैं।